स्वामी जी के समग्र शरीर में कितने ही लोगों ने राम मंत्र का दर्शन किया है तथा राम नाम लिखा हुआ देखा है। अयोध्या जी में सरयू जी के निकट संतों की सभा में, मैं सत्य की साक्षी देकर कहता हूँ कि ये अतिशयोक्ति नहीं है।
...
आगे पढ़ें
वर्तमान समय में हमारे सद्गुरुदेव भगवान मैथिल सख्य रस के प्रथम भोक्ता हुए और इस रस के पोषण के लिए उन्होंने भक्ति जगत को मैथिल सख्य रस का इतना प्रचुर साहित्य दिया है कि ये भक्ति जगत कभी उनके उपकार से उऋण नहीं हो सकता।
भक्ति के पाँच रस स्वीकार किये गए हैं, शांत, दास्य, सख्य, वात्सल्य और शृंगार। और एक साथ इन पांचों रसों का आचार्यत्व यदि किसी में दिखाई पड़ता है तो वो वैष्णव शिरोमणि परम भागवत भगवान शिव हैं। श्रीमद स्वामी रामहर्षण दास जी महाराज में
...
आगे पढ़ें
भक्ति के पांचों रसों का आचार्यत्व प्रत्यक्ष दिखाई पड़ता है।
श्री राजेन्द्र दास जी महाराज
कलि पावन युग पुरुष श्री, हर्षण दास जु अवतरे।
सदाचार श्रुति शास्त्र प्रकट जीवन दिखरायो।
...
आगे पढ़ें
भक्ति ज्ञान वैराग्य रूप कूं सुलभ करायो।
प्रेम रामायण विरचि सिद्धि निधि भाव दिखायो।
नाम रूप लीला धाम निष्ठा स्वरूप बतलायो।
प्रेमी पंच रसाचार्य द्वितीय रामानन्द अवतरे।
कलि पावन युग पुरुष श्री, हर्षण दास जु अवतरे।
श्री श्याम सुंदर पाराशर जी
सरकार साक्षात प्रेम के श्री विग्रह थे। ... जब तक किसी रस सिद्ध महापुरुष की कृपा दृष्टि जीव के ऊपर न पड़े, तब तक कोई कितना भी शास्त्रों को पढ़ ले, कितना भी उसका व्याख्यान कर ले,
...
आगे पढ़ें
उस वास्तविक रस में प्रवेश उसका कभी नहीं हो सकता।